जब आप दूसरों को दोष देते हो तो आप अपनी बदलाव लाने की ताक़त खो देते हो। अपने भविष्य की ज़िम्मेदारी खुद लो।
अगर आप अपनी करुणा में खुद को शामिल नहीं करते, तो यह अधूरी है।
माफी एक सामयिक कार्य नहीं है: यह एक दृष्टिकोण है।
दूसरों के विचारों के शोर को अपने भीतर की आवाज दबाने मत दें।
डर का उद्देश्य आपकी जागरूकता बढ़ाना है, आपकी प्रगति को रोकना नहीं है।
अगर आपको ख़ुशी मिलती है तो लोग ईर्ष्या करेंगे। फिर भी आप खुश रहिये।
अगर आपके पास केवल एक ही मुस्कुराहट है तो उसे उसको दो जिसे आप प्यार करते हैं।
ईमादारी आय से अधिक मूल्यवान है।
आप बदलाव लाने के लिए बने हैं, इसलिए हर अवसर को गले लगाओ।
धन्यवाद कहना अच्छी आदतों से ज्यादा अच्छा है। यह एक आध्यात्मिकता है। हजारों हैं मेरे अल्फाज के दीवाने;
मेरी खामोशी सुनने वाला कोई होता तो क्या बात थी।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता;
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता।
कहते हैं दिल से ज्यादा महफूज जगह नहीं दूनिया में और कोई;
फिर भी ना जाने क्यों सबसे ज्यादा यहीं से लोग लापता होते हैं।
बूँद बूँद टपकती हैं तेरी ज़ुल्फ़ों से बारिशें;
क़तरा क़तरा गिरती हैं मेरे छलनी दिल से ख़्वाहिशें।
तुम्हें शिकायत है कि मुझे बदल दिया है वक़्त ने;
कभी खुद से भी तो सवाल कर कि क्या तू वही है।
जूनून-ए-इश्क था तो कट जाती थी रात ख्यालो में;
सजा-ए-इश्क आयी तो हर लम्हा सदियों सा लगने लगा।
हँस कर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने,
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर इलज़ाम मुझ पर मढ़ने का।
तेरी इबादत का रंग इस कदर गहरा चढ़ा;
नजर जहाँ पड़ी वहीं तेरा दीदार हुआ।
रूकता भी नहीं ठीक से चलता भी नही,
यह दिल है कि तेरे बाद सँभलता ही नही।
ख्यालों में तेरी तस्वीर रख कर चूम लेता हूँ,
हथेली पर तुम्हारा नाम लिख कर चूम लेता हूँ;
तुम्हारे आँख के आँसू जो मुझ को याद आते हैं,
तो मैं चुपके से खुद आँसू बहाकर चूम लेता हूँ।
नहीं बसती किसी और की सूरत अब इन आँखो में,
काश कि हमने तुम्हें इतने गौर से ना देखा होता।
भूल जाऊंगा उसी वक़्त उसी पल,
बस तू उससे मिला दे जो मुझसे ज़्यादा चाहता है तुम्हें।
वो आ रहे हैं वो आते हैं आ रहे होंगे,
शब-ए-फ़िराक़ ये कह कर गुज़ार दी हम ने।
तकलीफ़ मिट गयी मगर एहसास रह गया;
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मेरे पास रह गया।
एक कहानी सी दिल पर लिखी रह गयी,
वो नज़र जो मुझे देखती रह गयी;
लोग आ कर बाजार में बिक भी गए,
मेरी कीमत लगी की लगी रह गयी।
जीने के लिए जान जरुरी है, हमारे लिए तो आप जरुरी हैं;
मेरे चेहरे पे चाहे गम हो, आपके चेहरे पे मुस्कान जरुरी है।
कहीं छत थी, दीवार-ओ-दर थे कहीं, मिला मुझे घर का पता देर से;
दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे, मगर जो दिया, वो दिया देर से।
फ़क़ीर मिज़ाज़ हूँ मैं, अपना अंदाज़ औरों से जुदा रखता हूँ;
लोग मंदिर मस्जिदों में जाते हैं, मैं अपने दिल में ख़ुदा रखता हूँ।
तू न कर ज़िक्र-ए-मोहब्बत कोई गम नहीं;
तेरी ख़ामोशी भी सच बयाँ कर देती है।
हम तो बने ही थे तबाह होने के लिए;
तेरा छोड़ जाना तो महज़ एक बहाना बन गया।
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